मार्केट में प्लास्टिक और लोहे की बॉडी वाले कूलर आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन गर्मी से बचने के लिए किस कूलर पर दांव लगाएं? इस बात की जानकारी होनी चाहिए. अगर आप भी नया कूलर खरीदने वाले हैं तो हमारी आज की खबर खास आप लोगों के लिए है, क्योंकि आज हम इस बात की जानकारी देंगे कि 50 डिग्री की गर्मी में प्लास्टिक या फिर लोहे वाला, आखिर कौन सा कूलर ज्यादा ठंडी हवा देता है?
जब कूलर खरीदने की बात होती है तो मन में ये सवाल घूमने लगता है कि प्लास्टिक वाला कूलर खरीदें या फिर लोहे वाला. एक-एक कर हम आपको दोनों ही कूलर की खासियतों और खामियों के बारे में बताएंगे जिससे कि आपको समझने में आसानी होगी.
Plastic Cooler
खूबियां: प्लास्टिक कूलर की खासियत ये है कि ये हल्का होते हैं और इन्हें एक से दूसरे रूम में आसानी से मूव किया जा सकता है जिससे कि आप एक कूलर को हर रूम में ठंडी हवा के लिए यूज कर सकते हैं. दूसरी खासियत ये है कि प्लास्टिक कूलर की मोटर और पंखा ज्यादा हैवी ड्यूटी वाला नहीं होता जिससे बिजली की खपत कम होती है.
खामियां: ज्यादा गर्मी के लिहाज से देखा जाए तो प्लास्टिक कूलर के साथ हवा तो मिलती है लेकिन कम कूलिंग का अहसास होगा. इसके अलावा प्लास्टिक कूलर का एयर थ्रो कम होता है जिस वजह से बड़े एरिया के लिहाज से ये कूलर ठीक नहीं है.
Iron Cooler
खूबियां: लोहे वाला कूलर आपको छोटे से लेकर फुल साइज तक में मिल जाएगा. 50 डिग्री की गर्मी में लोहे वाला कूलर ज्यादा बेहतर ऑप्शन है क्योंकि इसमें प्लास्टिक कूलर की तुलना ज्यादा मजबूत यानी हैवी ड्यूटी की मोटर और पंखा होता है जो ज्यादा तेज हवा फेंकने में मदद करता है.
खामियां: लोहे वाले कूलर के अगर फायदे हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे कि लोहे वाला कूलर का वजन प्लास्टिक कूलर से ज्यादा होता है और ऊपर से लोहे वाले कूलर में पहिया नहीं लगा होता जिस वजह से इन्हें एक से दूसरी जगह मूव नहीं किया जा सकता है.
कौन बेहतर: कूलिंग के मामले में वैसे तो दोनों ही अच्छे हैं लेकिन 50 डिग्री की गर्मी में प्लास्टिक की तुलना लोहे वाला कूलर ज्यादा कामयाब और बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.